सनातन धर्म के अनुसार हमारे परिजन को मृत हो चुके और उनकी आत्मा को शान्ति मिल गई हो वो पितृ लोक में चले जाते पित्र लोक देवलोक है पित्र देविय हो जाते इस लिए उन्हें पित्र देव भी कहते है हम।जब हमारे परिजनो की मृत्यु हो जाती है तो वो तुरंत पित्र लोक में नहीं जाते कुछ दिनों या महीने या साल तक प्रेत योनि में ही रहते है ।एक निश्चित समय के बाद वो पित्र लोगो की श्रेणी में जाते है तब उनकी मुक्ति होती है ।और जो लोग पित्र लोक में नही जा पाते वो प्रेत योनि में ही भटकते रहते है।