sangharsh

हुई राह मुश्किल तो क्या करे?
कदम कदम पर हौसला बढ़ाते चले,
उबरते रहे हादसों से सदा
गिरे, फिर उठे,मुस्करा कर चले,
लिखा ज़िन्दगी पर फसाना कभी

कभी मौत पर गुनगुना कर चले।
तू रोकने की कोशिश तो करना मुझे
मै बताऊँगी की तुफान क्या होता है।
तू तोड़ने कि कोशिश तो करना मुझे
मै बताऊँगी चट्टान क्या होती है।
तू बहा ले जाने कि कोशिश तो करना मुझे
मै बताऊँगी किनारा क्या होता है।
जब तू मुझे तोड़ – तोड़ के थक जाएगा
तब भी तू मेरी तलहटी मे उगे
किसी पेड़ के नीचे आराम करेगा।
मेरे होने से दुनिया है।
दुनिया के होने से मै नही।
जब तू मुझे बहा बहा के थक जायेगा।
तब भी तु मेरे बीच मे ही रहेगा।
क्योकि भले ही तू समंदर है।
लेकिन मै भी एक किनारा हू।
और तूझे हमेशा किनारे के दायरे मे रहना है।

ख्वाहिशों को जेब में रखकर निकला कीजिये जनाब
खर्चा  बहुत  होता है मंजिलों को पाने में

दर्द की बारिश में हम अकेले ही थे
जब बरषी खुशियाँ ,न जाने भीड़ कहा से आ गई

हजारों उलझनें राहों में और कोशिशें बेहिसाब
इसी  का नाम है जिन्दगी चलते रहिये जनाब

ख्वाहिशें तो आज भी बगावत करतीं है मगर सीख लिया है मैंने ,
हर बात को सीनें  में दफन करना

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