पितृ किन्हें कहते है।
सनातन धर्म के अनुसार हमारे परिजन को मृत हो चुके और उनकी आत्मा को शान्ति मिल गई हो वो पितृ लोक में चले जाते पित्र लोक देवलोक है पित्र देविय हो जाते इस लिए उन्हें पित्र देव भी कहते है हम।जब हमारे परिजनो की मृत्यु हो जाती है तो वो तुरंत पित्र लोक में नहीं जाते कुछ दिनों या महीने या साल तक प्रेत योनि में ही रहते है ।एक निश्चित समय के बाद वो पित्र लोगो की श्रेणी में जाते है तब उनकी मुक्ति होती है ।और जो लोग पित्र लोक में नही जा पाते वो प्रेत योनि में ही भटकते रहते है।
मृत परिजन स्वप्न में आते है वो प्रेत है या पितृ ।
अक्सर मर चुके रिश्तेदार या दोस्त हमारे सपनों में आते हैं|इसका क्या मतलब है क्या मृत व्यक्ति प्रेत है या पित्र इन सभी सवालों के जवाब हम आपको यह इस लेख में देगे अगर आपके कोई परिजन जिनकी मृत्यु हो गई है वो आपके स्वप्न में आ रहे तो इसका मतलब है वो पित्र की श्रेणी में नही आये है वो अभी प्रेत योनी में है।मरने के बाद आत्मा को प्रेत से पित्र बनने में कुछ समय लगता है उस समय के बाद भी स्वप्न में दिख रहे है परिजन इसका मतलब है वो पित्र नही बने
आपके परिजन 1 साल के बाद भी स्वप्न में दिखाई देते है तो समझ लीजिये की अभी वो पितरो की संख्या में गए ही नही है |अपने परिजनों संबंधियों को पित्र स्वप्प्न में दिखाई पड़े तो समझना चाहिए की न उनकी मुक्ति हुई है न स्वर्ग न नरक में नहीं सद्गति मना ही किसी और योनी में उनका जन्म नही हुआ
उनके स्वप्न में दिखाई देनेंका मतलब ही है की मृतात्मा अभी प्रेत योनी में ही पड़ा हुआ है इसका उल्लेख स्कन्द पुराण में मिलता है ।
जब प्रेत से पितर न बने तो क्या दुष्परिणाम है
पुत्र और परिवार होता ही इसलिए है की प्रेत से पित्र बनवावे लकिन आपने ये कार्य किया ही नही जिससे वो प्रेत पित्र बने :और जब प्रेत ही बना रहेगा तो प्रेत को जितना दुःख होता है वो उतना आपको परेशान करते है
क्या आप जानते है प्रेत कितना दुःख पाते हैं प्रेत योनी में और दुखी आत्मा कभी भी आपको सुख नही दे सकती
प्रेत न तो खा सकते है न कुछ पि सकते है वो सिर्फ हवा पीकर रहते lउन्हें भूख लगती है, परंतु वो भोजन ग्रहण नही कर सकते ये कितना बड़ा कष्ट है उन्हें प्यास लगती परंतु पानी नही पी सकते हैं ।पुराणों के अनुसार प्रेत योनि बहुत कष्टदायक होती है ।और एक ऐसे आत्मा जो इतने कष्ट में हो वो आपको कष्ट ही देगी चाहे आप उसके अपने ही क्यों न हो क्योंकि आपकी वजह से वो इतने कष्ट में है।आपने उनके सद्गति का मार्ग नही बनाया आपने उन्हें मुक्ति नही दिलाया
आगर वो स्वयं कष्ट में रहेंगे तो क्या क्या कष्ट देगे आपको ये समझना भी जरूरी है अगर आपके जिंदगी में इस तरह की कोई घटना हो रही है तो निश्चित रूप से समझ जाएगी आपके घर पितरों का साया है
क्या-क्या समस्याएं उत्पन्न करते हैं पितृजब वह कष्ट में होते हैं
वंश वृद्धि रोक देते हैं।
जिस घर में स्त्री के ऋतुकाल प्राप्त होने के बावजूद गर्भधारण नही होता ।सब ठीक है फिर भी वंश आगे नही बढ़ रहा ।पति पत्नी में प्रेम है दोनों साथ मे है कोई रोग नही संतति के लिये दोनों स्वस्थ है फिर भी संतति नही प्राप्त हो रही इसका मतलब है आपके घर मे प्रेत रुष्ट है ।वो पित्र नही बनें।और आपकी वंश वृद्धि में अवरोध उत्पन्न कर रहें हैं ।
अल्पायु में घर के परिवार जन की मृत्यु
अल्पायु में लोगो की मृत्यु होने जिस घर में जवान जवान लोग मृत्यु को प्राप्त हो जाते है ।बिना किसी गंभीर बीमारी के अचानक से ही जवान लोग मर जाये तो समझ लीजिये पित्र रुष्ट है
जीविका के साधन का बन्द हो जाना।
जब पित्र रुष्ट होते हैं तो जीविका के साधन में बाधा उत्पन्न कर देते जिनकी नैकरी लगी है अचानक से उनकी नौकरी छूट जाती है । जो लोग नौकरी के लिए प्रयासरत है उनकी बात बनते बनते बिगड़ जाती है ।
परिवार का सम्मान चला जाता है।
पित्र घर के सम्मान को भी कलंकित कर देते है ।जब पित्र कष्ट में होते है तो आपको विभिन्न तरह से परेशान करते है।जो गलती आपने नही की उसका बबिंदोष आपके सिर पर आ जाता है आपका सम्मान चला जाता है ।समाज मे कलंकित हो जाते है ।
रोग से ग्रसित हो जाते है ।
जिनके घर के पित्र कष्ट में रहते है।उनके घर मे तरह तरह की बीमारियां होने लगती।असाध्य रोग होने लगते ।ऐसे बीमारियां होने लगती जिनका उपचार संभव नही होता ।या फिर उपचार संभव भी होता तो दवा का कोई असर नही होता । छोटे छोटे बच्चे भी रोगग्रस्त हो जाते हैं ।जवान जवान लोग भी रोग से परेशान रहते है ।
पति पत्नी में न बनना
पति पत्नी में झगड़ा कालेश होने लगता है बात बात पर मनमुटाव होता है ।कुछ घरों में तो ऐसा भी देखा है मानसिक रूप से इतना परेशान हो जाते पति पत्नी दोनों की आत्महत्या तक कर लेते हैं ।पति पत्नी के रिश्ते में कड़वाहट आ जाती एक दूसरे के आरती सम्मान खत्म हो जाता ये सब पित्र दोष के कारण होता है
धन की हानि।
धन की हानि होने लगती ।किसी को पैसा दे दिग्व तो फिर वो वापिस नही देता किसी काम में पैसा लगाया वो काम नहैं होता ।पैसा पानी की तरह खर्च होने लगता पैसा आता भी है तो रुकता नही घर मे ।धन की हानि होने लगती ये सब पित्र दोष की वजह से होता है ।