पितृपक्ष…….
भादों मास की पूर्णिमा
की रात को
चाँद अपनी पूरी चाँदनी
बिखेर देता है ज़मीं पर,
फिर एक लम्बी सी सीढ़ी
निकलती है
चाँद से सीधा ज़मीं पर
और उतर आते हैं
सारे पूर्वज पितृ हमारे
ज़मी पर,
हम सब को आशीर्वाद देने
के लिये,
ये कुछ नहीं माँगते आपसे
बस देखने आते है अपनी
लगाई फुलवारी को,
खुश होते हैं कि कोई उनको
याद करता है,
एक छोटे से कर्म से ही
तृप्त हो जाते हैं,
फिर चल देते हैं वापिस
अपने स्थान पर,
तभी तो अँधेरी अमावस
को सब दीया
जलाते हैं अपने पितरों को
वापिस जाने के लिए
रास्ता दिखाते हैं,
पितृ तो सदा आशीर्वाद ही
देते हैं हमें,
फिर ना जाने क्यों हमसब
कोई शुभ काम
करने से डरते हैं?
विचार करने की बात है,
पितरों का आशीर्वाद लेना
अच्छी बात है।
पितृ देवोभवः।
पितृ देवोभव:
unknown
🙏🏻🌹❤️🌹🙏🏻