श्री राम का जब भी जिक्र होता है तो भगवान राम के भाइयों के प्रेम की चर्चा अवश्य होती है। लेकिन उनकी बहन शांता के बारे में बहुत कम सुनने और जानने को मिलता है। शांता माता कौशल्या की पुत्री थीं शांता होनहार कन्या थी और हर कार्य में निपुण थीं। शांता को युद्ध कला, विज्ञान, साहित्य और पाक कला का उच्च ज्ञान था। शांता के ज्ञान से राजा दशरथ भी प्रभावित रहते थे।प्राचीन मान्यताओं के अनुसार बेटी शांता को उन्हें अंगदेश के राजा लोमपद को गोद दे दिया, उसके बाद राजा लोमपद शांता को लेकर अंगदेश लौट आये। कहा जाता है की ऋषि श्रृंग ने देवी शांता के सौंदर्य और विलक्षण प्रतिभा से आकर्षित होकर उनसे विवाह किया था।
हिमाचल के कुल्लू में ऋषि श्रृंग के मंदिर में भगवान राम की बड़ी बहन शांता की पूजा होती है। मंदिर में देवी शांता और उनके पति श्रृंग ऋषि की साथ में पूजा होती है। शांता देवी के इस मंदिर में जो भी भक्त देवी शांता और श्रृंग ऋषि की सच्चे मन से पूजा करता है। कुल्लू में देवी शांता के मंदिर में दशहरा बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।
कहा जाता है कि राजा दशरथ के पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्र कमेश्टि यज्ञ देवी शांता और उनके पति ऋषि श्रृंग ने ही करवाया था गुरु वशिष्ठ के साथ उनके आमंत्रण पर।