जीवन” जितना सादा रहेगा…,
“तनाव” उतना ही आधा रहेगा।
योग करें या ना करें पर…
ज़रूरत पड़ने पर एक दूसरे का
सहयोग ज़रूर करें..!
लोग कहते हैं खाली हाथ आये हो
और खाली हाथ जाओगे
पर ऐसा नहीं है
लोग भाग्य लेकर आते हैं
और कर्म लेकर जाते हैं
हँस देता है जब प्रात सुनहरे अंचल में बिखरा रोली
लहरों की बिछलन पर जब मचली पड़ती किरणें भोली
तब कलियाँ चुपचाप उठाकर के घूँघट सुकुमार
छलकी पलकों से कहती हैं .कितना मादक है संसार
देकर सौरभ दान पवन से कहते हैं जब मुरझाये फूल
जिनके पथ पर बिछे वही क्यों भरता इन आँखों में धुल ?
अब इनमे क्या सार मधुर जग गाती भौरों की गुंजार
मर्मर का रोदन कहता है कितना निष्ठुर संसार
मैं कण कण में ढल रही हूँ आंसू क मिस प्यार किसी का
मैं पलकों में पाल रही हूँ यह सपना सुकुमार किसी का
क्या पूजा क्या अर्चना रे
उस असीम का सुन्दर मंदिर मेरा लघुतम जीवन रे
मेरी श्वाशें करती रहती नित प्रिय का अभिनन्दन रे
खुद को इतना भी मत बचाया कर..,
बारिशें हों तो भीग जाया कर।
चाँद लाकर कोई नहीं देगा,
अपना चेहरा जगमगाया कर।
दर्द हीरा है,दर्द मोती है,
इसे आँखों से न बहाया कर।
काम ले कुछ इन हसीन होठों से,
बात बात पे मुस्कुराया कर।
धूप मायूस सी चली जाती है,
किसी बहाने तो छत पे आया कर।
कौन कहता है दिल मिलाने को,
कम से कम हाथ तो मिलाया कर।
जो बीत गया सो बीत गया
जी ले अपनी जिन्दगी,
पुराने नगमें भूल जा,
नए गीत गुनगुनाया कर।
न रूका है,न रूकेगा
आओ बैठो कभी इतवार को
मै वैसा हूँ नही जैसा मिलता हूँ सोमवार को