अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022 महत्व,इतिहास कब और क्यों मनाते है |international shree bhagwat geeta jayanti

सनातन धर्म के सबसे बड़े ग्रंथ श्रीमद भगवत गीता जी के जन्म दिवस को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है।श्रीमद भगवत गीता जी के जन्मदिवस का मतलब जब गीता का उपदेश भगवान् श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था उस दिन से है | जब अर्जुन युद्ध भूमि में अपने सगे-संबंधियों अपने सन्मुख देखते है तो विकल हो जाते है और युद्ध करने से इंकार कर देता है तब भगवान श्री कृष्ण समय के चक्र को कुछ समय के लिये रोक देते हैं तथा अर्जुन को कर्म व धर्म का ज्ञान देने के लिये श्रीगीता जी का ज्ञान देते हैं और अपने विशाल स्वरूप का भी दर्शन करवाते हैं। श्रीमद भगवत गीता जी का यह ज्ञान श्रीकृष्ण व अर्जुन के बिच 40 मिनट के संवाद के रूप में है। इस दिव्य व दुर्लभ ज्ञान को श्रीकृष्ण जी द्वारा सुनाये जाने पर अर्जुन के अलावा महर्षि वेदव्यास जी, बर्बरीक, संजय व संजय द्वारा धृतराष्ट्र तथा अर्जुन के रथ पर विराजमान श्री हनुमान जी द्वारा भी श्रवण किया गया था।

गीता सिर्फ एक ग्रन्थ नही है इसमें जीवन का सार छुपा है .जिसे पढ़कर कलयुग में मनुष्य जाति को सही दिशा मिलती हैं. इसके महत्व को बनाये रखने के लिए और इसके बारे में लोगो को अवगत करने लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुचने के लिए हिन्दू धर्म में गीता जयंती मनाई जाती हैं.

कब मनाया जाता है गीता दिवस (when we celebrate international geeta jayanti )

गीता दिवस हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है इस साल 2022 में गीता जयंती महोत्सव (मोक्षदा एकादशी) 03 दिसंबर को शनिवार के दिन है। हिंदू पंचांग कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है। बताया जाता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण के मुख से गीता के उपदेश निकले थे।। जो कि कलयुग के आरम्भ से 30 वर्ष पूर्व व आज से लगभग 5159 वर्ष पहले कुरूक्षेत्र युद्धभूमि में श्रीहरि द्वापर युगी अवतार भगवान श्री कृष्ण जब अर्जुन के नंदीघोष नामक रथ पर सारथी रूप में विराजमान थे और अर्जुन को कर्म एवं धर्म का ज्ञान देने हेतु भगवान श्री कृष्ण जी के मुख से श्री गीता का अवतरण हुआ था।इसे दिन को गीता दिवस के रूप में मनाया जाता है ।

यह दिव्य ज्ञान कुरूक्षेत्र में ज्योतिसर नामक एक छोटे से गांव में एक प्राचीन व विशाल बरगद का वृक्ष है और तालाबी के पास ही वह प्राचीन स्थान है, जहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।

हरियाणा सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रीगीता महोत्सव का आयोजन किया जाता है तथा अन्तराष्ट्रीय लेवल पर प्रचार-प्रसार कर मानवता को इस ज्ञान की अनुभूति करवाने के लिये प्रयास किया जाता रहा है।दुनिया भर में केवल श्रीमद भगवत गीता ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है।

गीता दिवस क महत्व

गीता स्हवयं भगवान श्मरी कृष की वाणी है उनके मुख से उनक प्रभाव से निकली यह ज्ञान गंगा है इसक महत्व का आंकलन तो इसे बात से हो जाता है तो आप स्वयं इसके महत्व और प्रभाव का अंदाजा लगा सकते हैं यह कितनी पवित्र व प्रभावशाली एवं महत्वपूर्ण होगी जिसका वाचन करने वाले स्वयं भगवान श्री कृष्ण है । आने वाले समय में इंसान श्रीगीता जी का अनुसरण कर अपना जीवन श्रेष्ठता के साथ व्यतीत कर सकता है और अपने जीवन में सही और गलत मार्ग के बिच अंतर कर सकता है।

अगर आप जीवन से निराश है किसी भी तरह की परेसानी है या फिर किसी तरह का संदेह है आप गीता ग्रन्थ को पढ़िए आपकी सभी परेशानियों का हल है गीता आपकी सभी समस्याओं का हल है गीता आपके सभी संदेह का निदान है गीता .पुरे विश्वा में श्री कृष्णा जैसा motivational speaker आपको कही मिल ही नही सकता .इसलिए जब भी आप निराश हो जीवन में हताश हो गीता जरुर पढ़िए ।

हमारे पौराणिक साहित्य में गीता को ज्ञान के स्रोत के रूप में देखा जाता है। गीता में जीवन के कई सिद्धांत और कई प्रश्नों का उत्तर मिलता है। गीता असल में जीवन का ग्रंथ है। यह न केवल ग्रंथ है बल्कि पापों का क्षय करने का अद्भुत और अनुपम माध्यम है।भगवान श्री कृष्ण जी ने कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया जो आज भी लोगों को सही-गलत में फर्क समझने एवं जीवन को ठीक तरीके से जीने का तरीका सिखाती है।

गीता धार्मिक ग्रंथ नहीं है। यह दार्शनिक ग्रंथ है और इसमें मानवता के बारे में बात कही गई है। गीता के अट्ठारह अध्यायों में मनुष्य के सभी धर्म और कर्म का ब्यौरा है इसमें। इसमें सतयुग से कलयुग तक के मनुष्य के कर्म और धर्म के बारे में चर्चा की गई है। गीता सिर्फ एक धर्म ग्रन्थ नही है ये जीवन का सार है जीवन जीने की कला का ज्ञान है .गीता के श्लोकें में मनुष्य जाति का आधार छिपा हुआ है। मनुष्य के लिए क्या कर्म हैं उसका धर्म क्या है, इसका विस्तार स्वयं कृष्ण ने अपने मुख से कुरुक्षेत्र की धरती पर किया था।

श्री कृष्ण द्वारा यह श्रीगीता रूपी दिव्य ज्ञान कुल 700 संस्कृत के श्लोकों के रूप में दिया गया है। भगवान श्री कृष्ण ने इस श्रीगीता जी में स्पष्ट रूप से कहा है कि हे अर्जुन- मैं स्वयं ही ईश्वर हूं। श्री कृष्ण १६ कलाओं से परिपूर्ण है ।इससे पहले भगवान नारायण के जितने भी अवतार हुए पर पहली बार 16 कला सम्पूर्ण श्रीकृष्णावतार में ही प्रभु कहते हैं कि- मैं स्वयं ही इस सृष्टि को रचने व पालने वाला ईश्वर हूं।

किसी भी अन्य धर्म के किसी भी ईष्ट द्वारा यह नही कहा गया “मैं स्वयं ही ईश्वर हूं”। अन्य सभी धर्मों के ईष्टों द्वारा स्वयं को उस ईश्वर के सेवक कहकर ही सम्बोधन किया गया है परन्तु श्रीगीता जी में ही श्रीकृष्ण जी ने स्वयं को ईश्वर कहकर सम्बोधन किया है और उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह दिव्य ज्ञान मैं कोई प्रथम बार नहीं दे रहा पहले भी समय-समय पर धर्म की स्थापना के लिए मैंने यह दिव्य ज्ञान दिया है।

तुम्हारे पहले भी कई जन्म हो चुके हैं, जो तुम्हें याद नहीं परन्तु मैं आदि अनादि हूं मैंने यह दिव्य ज्ञान सूर्यदेव को दिया था। महार्षि भृगु जी द्वारा उनके पुत्र शुक्र जी को भी यह दिव्य ज्ञान दिया गया था व महार्षि वेदव्यास जी द्वारा उनके शिष्यों जैसे कि – वैशम्पायन, जैमिनी, पैल को भी यह दिव्य ज्ञान दिया।

इसके अध्ययन, श्रवण, मनन-चिंतन से जीवन में श्रेष्ठता का भाव आता है। गीता का संदेश वो मूल मंत्र हैं जिन्हें हर कोई अपने जीवन में आत्मसात कर पूरी मानवता का कल्याण कर सकता है। गीता अज्ञान, दुख, मोह, क्रोध, काम, लोभ आदि से मुक्ति का मार्ग बताती है।

गीता ग्रन्थ को किसने लिखा

सनातन धर्म के पवित्र ग्रंथ गीता के रचनाकार वेदव्यास जी हैं, उन्होंने ही वेदों की रचना भी की। गीता जयंती हजारों वर्षों से मनाई जाती रही है.

इस पवित्र ग्रंथ को भारतीय भाषाओं ही नहीं बल्कि दुनिया भर की कई अन्य भाषाओं में भी अनुवादित किया गया है जहां लोग इसका निरंतर पाठ करते हैं और अपने जीवन को सफल बनाने के लिए इससे मिली सीख को जीवन में उतारते हैं।

गीता के सात सौ श्लोक में छिपा है पूरे जीवन का सार

पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार श्रीमद्भगवत गीता में 18 अध्याय और सात सौ श्लोक हैं। इसमें 574 श्लोक योगेश्वर श्रीकृष्ण ने कहे हैं, 84 अर्जुन ने कहे हैं, 41 संजय ने और एक धृतराष्ट्र ने कहा है। गीता सनातन धर्म का प्रमुख धार्मिक ग्रंथ माना गया है। इसे महाभारत के अमृत के रूप में भी जानते हैं। योगेश्वर श्रीकृष्ण कहते हैं कि इसका पाठ करने वाला कितना भी पापी क्यों न हो लेकिन उसे ईश्वर की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

जब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को धर्म की वास्तविकता से अवगत कराया, तो धनुर्धर अर्जुन को ज्ञान प्राप्त हुआ| एक मनुष्य रूप में अर्जुन के मन में उठने वाले सभी प्रश्नों का उत्तर श्री कृष्ण ने स्वयं उसे ही दिया| उसी का विस्तार भगवत गीता में समाहित है| जो आज मनुष्य जाति को उसका कर्तव्य एवं अधिकार का बोध कराता है| गीता का जन्म मनुष्य को धर्म का सही अर्थ समझाने की दृष्टि से किया गया| 

कैसे मनाई जाती है गीता-जयंती

1 – भगवत गीता का पाठ किया जाता है।

2 – देश भर के कृष्ण मंदिरों में भगवान कृष्ण और गीता की पूजा की जाती है। भजन और आरती होती है।

3 – गीता के उपदेश पढ़े और सुने जाते हैं।

4 – गीता के विशेषज्ञ गीता का सार कहते हैं। कई जगह गीता पर वाद-विवाद का आयोजन होता है।

5- मोक्षदा एकादशी होने की वजह से इस दिन व्रत किया जाता है।

भगवत गीता का प्रथम श्लोक:

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे् समवेता युयुत्सवः ।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥१॥

श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं, गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद है। भगवत गीता के सभी 18 अध्याय के नाम..

अध्याय १: अर्जुनविषादयोगः – कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण
अध्याय २: साङ्ख्ययोगः – गीता का सार
अध्याय ३: कर्मयोगः – कर्मयोग
अध्याय ४: ज्ञानकर्मसंन्यासयोगः – दिव्य ज्ञान
अध्याय ५: कर्मसंन्यासयोगः – कर्मयोग-कृष्णभावनाभावित कर्म
अध्याय ६: आत्मसंयमयोगः – ध्यानयोग
अध्याय ७: ज्ञानविज्ञानयोगः – भगवद्ज्ञान
अध्याय ८: अक्षरब्रह्मयोगः – भगवत्प्राप्ति
अध्याय ९: राजविद्याराजगुह्ययोगः – परम गुह्य ज्ञानअध्याय १०: विभूतियोगः – श्री भगवान् का ऐश्वर्य
अध्याय ११: विश्वरूपदर्शनयोगः – विराट रूप
अध्याय १२: भक्तियोगः – भक्तियोग
अध्याय १३: क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोगः – प्रकृति, पुरुष तथा चेतना
अध्याय १४: गुणत्रयविभागयोगः – प्रकृति के तीन गुण
अध्याय १५: पुरुषोत्तमयोगः – पुरुषोत्तम योग
अध्याय १६: दैवासुरसम्पद्विभागयोगः – दैवी तथा आसुरी स्वभाव
अध्याय १७: श्रद्धात्रयविभागयोगः – श्रद्धा के विभाग
अध्याय १८: मोक्षसंन्यासयोगः – उपसंहार-संन्यास की सिद्धि

आरती श्री भगवद्‍ गीता (Aarti Shri Bhagwat Geeta)

जय भगवद् गीते,
जय भगवद् गीते ।
हरि-हिय-कमल-विहारिणि,
सुन्दर सुपुनीते ॥

कर्म-सुमर्म-प्रकाशिनि,
कामासक्तिहरा ।
तत्त्वज्ञान-विकाशिनि,
विद्या ब्रह्म परा ॥
॥ जय भगवद् गीते…॥

निश्चल-भक्ति-विधायिनि,
निर्मल मलहारी ।
शरण-सहस्य-प्रदायिनि,
सब विधि सुखकारी ॥

॥ जय भगवद् गीते…॥

राग-द्वेष-विदारिणि,
कारिणि मोद सदा ।
भव-भय-हारिणि,
तारिणि परमानन्दप्रदा ॥

॥ जय भगवद् गीते…॥

आसुर-भाव-विनाशिनि,
नाशिनि तम रजनी ।
दैवी सद् गुणदायिनि,
हरि-रसिका सजनी ॥
॥ जय भगवद् गीते…॥

समता, त्याग सिखावनि,
हरि-मुख की बानी ।
सकल शास्त्र की स्वामिनी,
श्रुतियों की रानी ॥
॥ जय भगवद् गीते…॥

दया-सुधा बरसावनि,
मातु! कृपा कीजै ।
हरिपद-प्रेम दान कर,
अपनो कर लीजै ॥

॥ जय भगवद् गीते…॥

जय भगवद् गीते,
जय भगवद् गीते ।
हरि-हिय-कमल-विहारिणि,
सुन्दर सुपुनीते ॥

हिंदू कैलेंडर के अनुसार कौन सी तिथि को गीता सुनाई गई?

यह हिंदू कैलेंडर के मार्गशीर्ष महीने के 11 वें दिन शुक्ल एकादशी को मनाया जाता है।

गीता का दूसरा नाम क्या है?

गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद

असली गीता कौन सी है?

गीता प्रेस के भगवद्गीता असली है ।

गीता के लेखक कौन हैं?

वेदव्यास

भगवत गीता पहली बार कहाँ कही गई थी?

वासुदेव श्रीकृष्‍ण ने महाभारत के दौरान कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश द‍िया था।

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