यह पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाने वाला “हरितालिका तीज” व्रत है। सभी व्रत में यह सबसे कठिन माना जाता है । २४ घण्टे का व्रत वो भी जिसमें पानी भी पीना मना है।
इस दिन गौरी-शंकर की पूजा की जाती है। एक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। माता पार्वती की सहेलियों ने उन्हें अगवा कर लिया था। ऐसे में इस व्रत को हरतालिका नाम से जाना जाने लगा। इस दिन महिलाएं कथा सुनने के बाद निर्जला रहकर पूरे दिन व्रत रखती हैं। फिर अगले दिन सुबह ही व्रत खोला जाता है। इस दिन गौरी-शंकर की मिट्टी की प्रतिमा बनाई जाती है जिससे पूजन किया जाता है।बेलपत्र
पूजन के दौरान माता पार्वती को सुहाग का सारा सामान भी अर्पित किया जाता है। इसके अलावा रात्रि में भजन-कीर्तन भी किया जाता है। इसके साथ ही जागरण कर तीन बार आरती की जाती है। हरतालिका तीज के दिन हरे रंग का विशेष महत्व होता है। इस दिन महिलाएं हरी चूडिय़ां और साड़ी पहनती हैं।स्वप्न में दिखने वाले पितृ हैं या प्रेत |पितृ पक्ष
यह व्रत दो प्रकार से किया जाता है। एक निर्जला और दूसरा फलाहारी। निर्जला व्रत में पानी नहीं पीते हैं और न ही अन्न या फल ग्रहण करते हैं। वहीं फलाहारी व्रत रखने वाले लोग व्रत के दौरान जल पी सकते हैं और फल का सेवन करते हैं।
ज्यादातर शारीरिक रूप से स्वस्थ लोग निर्जला ही रखते हैं ।पितृपक्ष पितरो के नाम कुछ पंक्तिया
इस व्रत में पूजन सामग्री लकड़ी का पाट, लाल या पीले रंग का कपड़ा, पूजा के लिए नारियल, पानी से भरा कलश, माता के लिए चुनरी, सुहाग का सामान, मेंहदी, काजल, सिंदूर, चूडिय़ां, बिंदी और पंचामृत आदि भी शामिल होती है।
इसको कुंवारी कन्या भी कर सकती हैं…
कुंवारी कन्याएं सुयोग्य जीवनसाथी पाने की कामना से हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं, जिससे उनको भी माता पार्वती की तरह ही उनका मनचाहा वर प्राप्त हो सके। हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की जाती है। साथ में भगवान गणेश की भी पूजा होती है ताकि उनका व्रत बिना किसी विघ्न-बाधा के पूर्ण हो जाए।श्री कृष्ण सोलह कला संपूर्ण थे ये सोलह कला कौन सी होती हैं?