haritaalika teez|हरितालिका तीज पर व्रत रखने का क्या महत्व है?

हरतालिका तीज या तीजा (गौरी तृतीया) व्रत भाद्रपद मास शुक्ल की तृतीया तिथि को मनाया जाता हैं।

खासतौर पर महिलाओं द्वारा यह त्यौहार मनाया जाता हैं। कम उम्र की लड़कियों के लिए भी यह हरतालिका का व्रत श्रेष्ठ समझा गया हैं। शंकर भगवान की 5 लड़कियों के नाम क्या हैं

विधि-विधान से हरितालिका तीज का व्रत करने से जहाँ कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है।

श्री कृष्ण सोलह कला संपूर्ण थे ये सोलह कला कौन सी होती हैं?

हरितालिका तीज का व्रत महिला प्रधान है।इस दिन महिलायें बिना कुछ खायें -पिये व्रत रखती है।यह व्रत संकल्प शक्ती का एक अनुपम उदाहरण है।अनंत चतुर्दशी

हरितलिका तीज पूजा कब की जाती है

हरतालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता हैं। प्रदोष काल अर्थात दिन रात के मिलने का समय। हरतालिका पूजन के लिए शिव, पार्वती, गणेश एव रिद्धि सिद्धि जी की प्रतिमा बालू रेत अथवा काली मिट्टी से बनाई जाती हैं।

विविध पुष्पों से सजाकर उसके भीतर रंगोली डालकर उस पर चौकी रखी जाती हैं। चौकी पर एक अष्टदल बनाकर उस पर थाल रखते हैं। उस थाल में केले के पत्ते को रखते हैं। सभी प्रतिमाओ को केले के पत्ते पर रखा जाता हैं। सर्वप्रथम कलश के ऊपर नारियल रखकर लाल कलावा बाँध कर पूजन किया जाता हैं कुमकुम, हल्दी, चावल, पुष्प चढ़ाकर विधिवत पूजन होता हैं। कलश के बाद गणेश जी की पूजा की जाती हैं।क्यों कहते हैं श्री राधारानी को किशोरी जू

उसके बाद शिव जी की पूजा जी जाती हैं। तत्पश्चात माता गौरी की पूजा की जाती हैं। उन्हें सम्पूर्ण श्रृंगार चढ़ाया जाता हैं। इसके बाद अन्य देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन किया जाता है।श्री विष्णु, श्री कृष्ण, श्री राम की ही तरह शिव जी के आगे श्री क्यों नहीं लगाया जाता?

इसके बाद हरतालिका व्रत की कथा पढ़ी जाती हैं। इसके पश्चात आरती की जाती हैं जिसमे सर्वप्रथम गणेश जी की पुनः शिव जी की फिर माता गौरी की आरती की जाती हैं। इस दिन महिलाएं रात्रि जागरण भी करती हैं और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण किया जाता है। आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है। हरतालिका व्रत का नियम हैं कि इसे एक बार प्रारंभ करने के बाद छोड़ा नहीं जा सकता।बेलपत्र

प्रातः अन्तिम पूजा के बाद माता गौरी को जो सिंदूर चढ़ाया जाता हैं उस सिंदूर से सुहागन स्त्री सुहाग लेती हैं। ककड़ी एवं हलवे का भोग लगाया जाता हैं। उसी ककड़ी को खाकर उपवास तोडा जाता हैं। अंत में सभी सामग्री को एकत्र कर पवित्र नदी एवं कुण्ड में विसर्जित किया जाता हैं।

🕉 भगवती-उमा की पूजा के लिए ये मंत्र बोलना चाहिए :-

ऊं उमायै नम:🙏

ऊं पार्वत्यै नम:🙏

ऊं जगद्धात्र्यै नम:🙏

ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:🙏

ऊं शांतिरूपिण्यै नम:🙏

ऊं शिवायै नम:🙏

भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करनी चाहिए 👇

ऊं हराय नम:🙏

ऊं महेश्वराय नम:🙏

ऊं शम्भवे नम:🙏

ऊं शूलपाणये नम:🙏

ऊं पिनाकवृषे नम:🙏

ऊं शिवाय नम:🙏

ऊं पशुपतये नम:🙏

ऊं महादेवाय नम:🙏

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *