सरस्वती पूजा 2022 महत्व, विधि मान्यता

हिंदू कलेंडर के अनुसार हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है।ऐसा माना जाता है क‍ि इस दिन विधि विधान से विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि का विकास होता है।क। इसे श्री पंचमी,वगीश्वरी जयंती,

मदनोत्सव, ऋषि पंचमी, और सरस्वती पूजा उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था।मां सरस्वती की पूजा करने से व्यक्ति को करियर और शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है। खासतौर से नौकरी-पेशा, स्कूल-कॉलेज, संस्थान और कला के क्षेत्र से जुड़े लोग इस दिन मां सरस्वती की पूजा करते हैं।मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और जीवन में तरक्की मिलती है । तथा ज्ञान की प्राप्ति व बुद्धि का विकास होता है।बसंत पंचमी (basant panchami 2022) से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है।बंसत पंचमी के दिन मां सरस्वती को पीले रंग के ही फल चढ़ाए जाते हैं। सरस्वती पूजन में केला या फिर संतरा चढ़ाने सबसे शुभ माना जाता है।

बसंत पंचमी की तारीख5 फ़रवरी
बसंत पंचमी पूजा मुहूर्त12:26 से 12:41
समय15 मिनट

बसंत पंचमी के दिन क्यों की जाती है कामदेव की पूजा?

शास्त्रों के मुताबिक बसंत ऋतु का संबंध कामदेव से है. बसंत ऋतु के आने के साथ ही मौसम सुहाना हो जाता है. प्रकृति में एक अलग तरह की खूबसूरती नजर आती है. मनुष्य के साथ-साथ दूसरे प्राणियों में भी खुशी का संचार होता है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक कामदेव मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु के पुत्र हैं. इनकी शादी देवी रती से हुई थी. देवी रती आकर्षण और प्रेम की देवी हैं. हालांकि कुछ कथाओं में कामदेव को ब्रह्माजी का पुत्र बताया गया है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक कामदेव ने एक बार भगवान शिव की तपस्या भंग कर दी थी. तो उन्होंने अपने क्रोध से कामदेव को भस्म कर दिया. यह जानकर कामदेव की पत्नी रती विलाप करने लगीं. कहते हैं कि रती की विनती पर भगवान शिव ने कामदेव को भाव रूप में प्रकृति में वास करने का वरदान दिया. 

Importance of yellow color on basant panchami 

बंसत पंचमी के दिन मां सरस्वती को पीले रंग के ही फल चढ़ाए जाते हैं। सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) मनाने वाले लोग पारंपरिक रूप से बसंत पंचमी के दौरान पीले कपड़े और सामान पहनते हैं. यहां तक कि देवी सरस्वती को दिया जाने वाला प्रसाद भी पीले रंग का होता है.बसंत पंचमी बृजभूमि में होली त्योहर की शुरुआत का प्रतीक है और वृंदावन में मंदिरों को गेंदे के फूलों (Marigold Flowers) से सजाया जाता है. सरस्वती पूजन में केला या फिर संतरा चढ़ाने सबसे शुभ माना जाता है।मां सरस्वती को श्वेत वर्णा माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को दूध, दही और मक्खन अर्पित करने से ज्ञान और बुद्धि का वरदान मिलता है।

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