श्री विष्णु, श्री कृष्ण, श्री राम की ही तरह शिव जी के आगे श्री क्यों नहीं लगाया जाता?

ये बहुत अच्छा प्रश्न पूछा आपने। ईश्वर, विशेषकर भगवान विष्णु के सम्बन्ध में एक भ्रान्ति ये है कि उनके नाम के आगे लगने वाला शब्द “श्री” सम्मान सूचक है। यही कारण है कि हम ये अपेक्षा करते हैं कि हम सभी देवताओं के आगे उसी सम्मान के रूप में श्री लगाएं। आज के परिपेक्ष्य में अवश्य श्री एक सम्मान सूचक शब्द है किन्तु आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि भगवान विष्णु के नाम के आगे लगने वाला श्री केवल सम्मान के लिए नहीं है।अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2022 महत्व,इतिहास कब और क्यों मनाते है |international shree bhagwat geeta jayanti

नारायण ईश्वर हैं इसी कारण सम्मान पर उनका अधिकार निर्विवाद है। श्री लगाएं अथवा ना लगाएं, उनका सम्मान कम नहीं होता। किन्तु वास्तव में श्रीहरि के आगे लगने वाले “श्री” का अर्थ है “लक्ष्मी”। आप सभी को ये तो पता ही होगा कि माता लक्ष्मी का एक नाम श्री भी है। वास्तव में हम श्रीहरि कह कर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को एकाकार करते हैं। ये ठीक वैसा ही है जैसे भगवान शंकर का अर्धनारीश्वर स्वरुप।स्वप्न में दिखने वाले पितृ हैं या प्रेत |पितृ पक्ष

अब श्रीहरि तक तो ठीक है किन्तु क्या श्रीराम और श्रीकृष्ण के आगे जो “श्री” लगता है वो सम्मान सूचक नहीं है? उत्तर है हाँ, है किन्तु इन दोनों के नाम के साथ लगने वाले श्री का अर्थ भी माता लक्ष्मी का ही रूप है। जब हम श्रीराम कहते हैं तो वास्तव में हम “सीता-राम” कह रहे होते हैं। जब हम श्रीकृष्ण कहते हैं तो वास्तव में हम “रुक्मिणी-कृष्ण” कह रहे होते हैं। तो इस प्रकार दोनों के नाम में श्री लगाने का वास्तविक तात्पर्य इनकी अर्धांगिनी के नाम को भी इनके साथ जोड़ना है।बेलपत्र

अब एक प्रश्न और आता है कि भगवान विष्णु के अवतारों – राम और कृष्ण के अवतारों को ही माता लक्ष्मी के “श्री” सम्बोधन के साथ क्यों जोड़ा जाता है? भगवान शंकर के अवतारों के साथ क्यों नहीं। इसका कारण ये है कि भगवान विष्णु के अवतारों की एक विशेष बात ये है कि नारायण के साथ-साथ हर अवतार में माता लक्ष्मी भी अवतार लेती हैं। जैसे श्रीराम के अवतार के साथ में माता लक्ष्मी देवी सीता और श्रीकृष्ण के अवतार के साथ में माता लक्ष्मी देवी रुक्मिणी के रूप में अवतरित हुई।shardiya navratri

बहुत कम लोगों को ये पता है कि भगवान विष्णु के अन्य अवतारों के साथ भी माता लक्ष्मी ने अवतार लिया। जैसे भगवान वराह के साथ माता वाराही, भगवान नृसिंह के साथ माता नारसिंही, भगवान वामन के साथ माता पद्मा और भगवान परशुराम के साथ माता धारिणी। तो इन सबके साथ भी श्री का तात्पर्य माता लक्ष्मी के इन्ही अवतारों से है। भविष्य में होने वाले भगवान कल्कि के अवतार में भी माता लक्ष्मी देवी पद्मावती के रूप में अवतरित होंगी।पितृपक्ष पितरो के नाम कुछ पंक्तिया

आशा है आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा। जय श्रीहरि।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *